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एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेडेड कोलांगियोपैंक्रेटोग्राफी (ईआरसीपी), आवश्यकता, प्रक्रिया, दिक्कते - अग्रवाल गैस्ट्रोकेयर सेंटर इंदौर

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एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेडेड कोलांगियोपैंक्रेटोग्राफी (ईआरसीपी), आवश्यकता, प्रक्रिया, दिक्कते - अग्रवाल गैस्ट्रोकेयर सेंटर इंदौर

एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेडेड कोलांगियोपैंक्रेटोग्राफी (ईआरसीपी), आवश्यकता, प्रक्रिया, दिक्कते – अग्रवाल गैस्ट्रोकेयर सेंटर इंदौर

एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेडेड कोलांगियोपैंक्रेटोग्राफी (ईआरसीपी) एक ऐसी तकनीक है जो पित्त या पैंक्रिअटिक डक्ट की समस्याओं के निदान और उपचार के लिए एंडोस्कोपी और फ्लोरोस्कोपी दोनों के उपयोग से किया जाता है। जब मरीज को पेट से संबधित कोई समस्या आती है। तब डॉक्टर ईआरसीपी का उपयोग करते है। यह मुख्य रूप से अत्यधिक कुशल और विशेष प्रशिक्षित गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट द्वारा उपयोग किया जाता है।

ईआरसीपी मेजर सर्जरी में नहैीं आता है ।  यहै एक तरह की जांच है, जो की पैंक्रियास से सम्बंधित दिक्कतों की पहैचनन करने के लिए सक्षम है। कई लोग ईआरसीपी को एक मेजर सर्जरी मानते है। जो की बिलकुल सही नहीं है। 

एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेडेड कोलांगियोपैंक्रेटोग्राफी (ईआरसीपी), आवश्यकता, प्रक्रिया, दिक्कते - अग्रवाल गैस्ट्रोकेयर सेंटर इंदौर

ईआरसीपी की आवश्यकता क्यों पड़ सकती है। Why ERCP May be Needed

पेट में दर्द का कारण न पता हो या त्वचा और आंखों का पीलापन (पीलिया) का कारण जानने के लिए आपको ईआरसीपी की ज़रूरत है सकती है। यदि आपको लिवर कैंसर या पैंक्रियास या बाइल डक्ट का कैंसर है, तो  अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। ईआरसीपी निम्नलिखित को जानने में भी योग्य है:

  • बैल डक्ट में पथरी या रुकावट होना। 
  • बाइल डक्ट या पैंक्रिअटिक डक्ट से फ्लूइड का लीक होना ।
  • बाइल डक्ट में रूकावट होना या बाइल डक्ट का पतला होना । 
  • ट्यूमर का होना। 
  • बाइल डक्ट में इन्फेक्शन होना । 

ईआरसीपी की प्रक्रिया | ERCP Process

जब मरीज के पेट से संबधित कोई समस्या आती है और उसकी समस्या को डॉक्टर सिटी स्कैन या फिर एम.आर.आई से पकड़ नहीं पाते है। तब डॉक्टर ईआरसीपी कि मदद से मरीज कि जांच करते है। जाने ईआरसीपी की प्रक्रिया कैसे की जाती है|

सबसे पहले पेशेंट को शांत करने के लिए एक दवाई दी जाती है।  उसके बाद एक माउथ गार्ड का इस्तिमाल किया जाता है जो दातो की रक्षा के लिए काम अत है।  एक दवाई को स्प्रे करके गले को सुन्न किया जाता है।  इसके बाद पेशेंट को लेफ्ट साइड लिटा कर उसके मुँह से एण्डोस्कोप पास कराया जाता है इस प्रक्रिया में कोई दर्द या परेशानी महसूस नहीं होती है।  इस ट्यूब के एन्ड पर एक लाइट और कैमरा होते है यह ट्यूब जो की डक्ट से होते हुए पैंक्रियास और गल्ल ब्लैडर तक जाते है। इसके बाद को कुछ अंगो से लिया X- रे जाता है।

ईआरसीपी के बाद होने वाली दिक्कते क्या है

ईआरसीपी के बाद होने वाली दिक्कते कुछ इस प्रकार है। 

  • पैंक्रियास या गल्ल ब्लैडर में सूजन आन। यहै सबसे आम जोखिमों में से एक है, जो ईआरसीपी से जुड़ा है।
  • इन्फेक्शन का होना भी एक आम जोखिम है, जो की ईआरसीपी के दौरान होना संभव है।
  • खून का बहैना। 
  • ईआरसीपी के बाद, रोगी को गले में खराश जैसी परेशानी का अनुभव हो सकता है।
  • प्रक्रिया के बाद थोड़े समय के लिए आपको सूजन होने की सम्भावना होती है।
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