एसोफैगल कैंसर में मैटेलिक स्टेंटिंग – डॉ. अमित अग्रवाल – अग्रवाल गैस्ट्रोकेयर सेंटर इंदौर
एसोफैगस में होने वाले कैंसर को एसोफैगल कैंसर कहा जाता है । एसोफैगस का कैंसर बहुत हिब घातक बीमारियों में शामिल है। यह कई कैंसर के प्रकारों में से एक है इस तरह के कैंसर की शुरुवात एसोफैगस में जो सेल होते है उनसे होती है।
इस प्रकार के कैंसर में मरीज़ को निगलने में कठिनाई का अनुभव होता है। एक दम से वज़न गिरना भी इसके आम लक्षणों में शामिल है ।
मेटालिक स्टंट एक तकनीक है जिससे पेट और पैंक्रियास के कैंसर का इलाज करने में काम में लिया जाता है।
मैटेलिक स्टेंटिंग क्या है?
मैटेलिक स्टेंस्ट्स एक तरह की फूलने वाली ट्यूब होती है। यह ट्यूब का इस्तेमाल खाना और अन्य पदार्थो को मरीज़ के शरीर में पहुंचने के काम में आता है।
इस तरह के मैटेलिक ट्यूब का इस्तेमाल आंत में डालकर किया जाता है। इसका का इस्तेमाल मुख्या रूप से कैंसर पेशेंट के दीजेस्टिव को सहायक करने में किया जाता है ।
मैटेलिक स्टेंटिंग कैसे की जाती है?
एसोफैगस कैंसर की वजह से आम तौर पर मरीज़ को निगलने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। जिसकी वजह से मरीज़ का हाज़मा और पाचन मुख्या रूप से प्रभावित होता है। तो मरीज़ का पाचन सही रहे इसको सुनिश्चित करने के लिए मैटेलिक स्टेटिंग का इस्तेमाल किया जाता है।
यह एक प्रकार का ट्यूब होता है जो मरीज़ के एसोफैगस में डाला जाता है । यह ट्यूब लिक्विड और सॉलिड प्रकार के खाद्य पदार्थो को मरीज़ के शरीर में पहुंचने में काम आता है । यह ट्यूब भोजन नली जिससे की हमारे शरीर में खाना पहुँचता है उसे खोले रखता है। जो की इस प्रकार के कैंसर की वजह से सही तरीके से काम नहीं कर पाता है ।
डॉ. अमित अग्रवाल
डायरेक्टर & गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट कंसलटेंट
अग्रवाल गैस्ट्रोकेयर सेंटर इंदौर