जी ई आर डी ट्रीटमेंट – डॉ. अमित अग्रवाल – अग्रवाल गैस्ट्रोकेयर सेंटर इंदौर
परिवर्तित जीवनशैली, गलत खानपान, व लापरवाही के वजह से कोई भी किसी भी रोग का शिकार हो सकता है। कई बार तो व्यक्ति ऐसे रोग से पीड़ित होता है, जिसके बारे में उसने शायद ही कभी सुना हो। एक ऐसी ही समस्या जिसको जीईआरडी या गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स के नाम से जाना जाता है |
एक पाचन स्थिति को गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स रोग के रूप में जाना जाता है, जीईआरडी आपके अन्नप्रणाली और पेट के बीच की मांसपेशियों की रिंग को नुकसान पहुंचाता है। निचला एसोफेजल स्फिंक्टर इस रिंग (एलईएस) का नाम है। अगर स्फिंक्टर सही तरीके से काम नहीं करता है तो एसिड ऊपर की तरफ आने लगता है।
जी ई आर डी ट्रीटमेंट | GERD Treatment
1. जीवनशैली में बदलाव: – अपनी जीवनशैली में बदलाव लेकर इस बीमारी के लक्षणों को काम करा जा सकता है। ये बदलाव कुछ इस तरह है।
- बढ़ते हुए वजन पे रोक लगाना।
- सोते समय तकिया का इस्तेमाल करना।
- शराब और धूम्रपान का अत्यधिक सेवन पे रोक लगाना।
- रात में सोने के ३ घंटे पहले भोजन करना।
- हरी सब्जियों और फलो का ज़्यादा से ज़्यादा सेवन करना।
2. दवाएं: – ऊपर बताए गए तरीकों से भी गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स के लक्षणों में रहत नई मिल रही है तो डॉक्टर, गर्ड का इलाज करने के दौरान एच-2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स, प्रोटॉन पंप इन्हिबिटर्स या फिर भोजन नली के निचले हिस्से में मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए दवाएं लेने को कह सकते है, जो जीईआरडी के लक्षण को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
3. सर्जरी: – अगर ऊपर दी गयी प्रक्रियाओं से आपको लाभ नहीं मिल रहा है या किसी तरह की भी रहत महसूस नहीं हो रही है और आप लम्बे समय तक दवाओं का सेवन नई करना चाहते हैं, तो डॉक्टर जीईआरडी की परिस्थिति देख कर सर्जरी का सुझाव दे सकते है।