इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम क्लीनिकल फीचर्स – अग्रवाल गैस्ट्रोकेयर सेंटर इंदौर – डॉ अमित अग्रवाल
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आई बी इस) एक प्रकार का विकार है, जो बड़ी आंत को प्रभावित करता है। आमतौर पर ऐंठन, पेट दर्द, सूजन, गैस, दस्त, और कब्ज, का कारण बनता है। यह एक लम्बे समय तक चलने वाली बीमारी है, जिसकी आपको लम्बे समय तक देखभाल करने की आवश्यकता पड़ती है। आईबीएस को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर भी कहा जाता है। हालांकि, इसके लक्षणों को सही समय पर पहचानकर इसका इलाज शुरू कर दिए जाए तो इस समस्या से जल्द ही छुटकारा पाया जा सकता है।
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के क्लीनिकल फीचर्स | Clinical Features of Irritable Bowel Syndrome
क्या आपके पेट में भी दर्द, ऐठन रेहता है, या फिर कभी दस्त, कभी कब्ज तो कभी ब्लोटिंग की समस्या होती है, तो हो सकता है आप इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से ग्रस्त हों। निचे दिए गए निम्लिखित क्लीनिकल फीचर्स को विशेष रूप से पढ़ें :-
- इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम यानि (आईबीएस) की समस्या होने पर आतें का काम करना बंद कर देती है, जिसके कारण पेट साफ़ नहीं होता तो खट्टी डकारें आने लगती है अथवा मुँह से दुर्गन्ध भी आने लगती है। उसी के साथ पेट में दर्द की शिकायत शुरू हो जाती है।
- मॉल त्याद करने में परेशानी या कब्ज की दिक्कत होने लगती है।
- कब्ज होने के कारण पेट साफ़ नहीं होता जिसकी वजह से पेट में ऐठन होने लगती है अथवा पेट फूलने लगता है।
- आईबीएस से पीड़ित व्यक्ति के हाथ व पैर में सूजन आ जाती है।
- रोगी के दस्त की दिक्कत भी उत्पन्न हो जाती है।
- इन सभी दिक्कतों की वजह से आईबीएस से पीड़ित व्यक्ति का किसी चीज़ में मन नहीं लगता अथवा चिड़चिड़ापन बना रहता है और इन सबके कारण शरीर में आलास रहता है।
- पेट में दर्द, ऐठन, कब्ज, दस्त आदि कारणों की वजह से नींद आना बंद हो जाती हैं।
- एसिडिटी की शिकायत भी हो जाती हैं।
- शरीर में पानी की कमी व उपच हो जाता है।
- गंभीर स्थिति में 60 प्रतिशत मामलों में खून की कमी व बुखार आने लगता है।
सही समय पर विशेषज्ञ से उपचार कराने पर इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट से सम्पर्क करें|