जॉन्डिस (पीलिया) ट्रीटमेंट और मिथक – अग्रवाल गैस्ट्रोकेयर सेंटर इंदौर – डॉ अमित अग्रवाल
जॉन्डिस (पीलिया) यह बीमारी खून में बिलीरुबिन के बढ़ने से होती है जिसके कारण आंखे, त्वचा और नाख़ून अपना रंग बदलने लगते है। पीलिए से पीड़ित व्यक्ति का इलाज समय पर न करने से उसको काफी हद तक नुक्सान झेलना पद सकता है। यह एक गंभीर रोग है जिसके कारण लिवर कमज़ोर होकर काम करना बंद कर देता है।
जॉन्डिस कई बिमारियों की वजह बन सकता है। जैसे मलेरिआ, थैलेसीमिया और सिकल सेल अनेमिया। इसके इलावा अन्य परिस्थितियां, जैसे की गॉल स्टोन्स और पैनक्रेअटिस शरीर से बिलीरुबिन को बहार निकलने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करती है।
जॉन्डिस ट्रीटमेंट | Jaundice Treatment
जॉन्डिस यानि पीलिया का इलाज, पीलिया के लक्षणों पर निर्भर करता है। पीलिया के मरीजों को अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। इसका उपचार कुछ इस प्रकार है जैसे: –
- आयरन की खुराक लेने या अधिक आयरन युक्त खाद्द पदार्थ खाने से खून में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है जिससे अनेमिया से होने वाले जॉन्डिस का इलाज किया जा सकता है।
- हेपेटाइटिस से होने वाले जॉन्डिस को एंटीवायरल या स्टेरॉइड्स की मदद से ठीक किया जाता है।
- अगर जॉन्डिस ड्रग्स के कारण हुआ है तो ड्रग्स का सेवन तुरंत रोक देना चाहिए।
- पीलिया के कुछ मरीजों को सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
जॉन्डिस मिथक | Jaundice Myth
- जॉन्डिस की बीमारी से जुड़ा सबसे बड़ा मिथक यह है कि यह बीमारी खाने के साथ शराब के सेवन से नहीं होती। जबकि यह बिलकुल भी सच नहीं है।
- कुछ लोग यह मानते है कि पीलिया के मरीज़ के लिए उबला हुआ भोजन फायदेमंद है, जोकि बिलकुल भी सच नहीं है।
- सबसे आम मिथ में से एक यह मिथ है की पीलिया के दौरान अगर आपको खुजली हो रही है तो इसका मतलब है की बीमारी ठीक हो रही है जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं है।
- जॉन्डिस से पीड़ित व्यक्ति को ज़्यादा नींद आना नार्मल है। दरसल यह एक चेतावनी हो सकती है कि आपका लिवर ठीक नहीं है।
सही समय पर विशेषज्ञ से उपचार कराने पर इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि आपको जॉन्डिस के विषय में अधिक जानकारी प्राप्त करनी है, या फिर इस रोग का निदान करना है तो अग्रवाल गैस्ट्रोसेंटर में संपर्क कर सकते है ।